Sunday 15 January 2017

कैसे बताएं तुम्हें

कैसे बताएं तुम्हें
के कितने मजबूर हो जाते हैं
तुम आते हो जब सामने
तो सारे गम दूर हो जाते हैं

तुम सामने होते हो तो
आँखों में तुम ही तुम बस जाते हो
एक ख्वाब की तरह
और मानो उस एक पल के लिए
इन धड़कनो को
ना धड़कना भी कबूल हो जैसे

कैसे बताएं तुम्हें
के कितने मजबूर हो जाते हैं
तुम आते हो जब सामने
तो सारे गम दूर हो जाते हैं

जो तुम दूर चले जाते हो
तो ख्वाब भी फीके लगते हैं
रंग रहता है, रूप रहता है
आँखें निहारती तो रहती हैं
मगर उन में खुशबू नहीं होती
मानो के कागज़ के  फूल हो जैसे

कैसे बताएं तुम्हें
के कितने मजबूर हो जाते हैं
तुम आते हो जब सामने
तो सारे गम दूर हो जाते हैं