Friday 27 October 2017

ख्वाबों की पेटी

कुछ ख्वाबों की राख
आज एक पुराने डब्बे में मिली
चंद मुडे पन्ने
उनपे लिखे कुछ नगमे

पहले इश्क़ का इज़हार
कमीनो दोस्तों का प्यार
कुछ हसीन पल
और यादों की बौछार

वो छोटी बातों पे
माशूका का रूठ जाना
उस एक की मुस्कान पे
हज़ारों का मर जाना

जब ज़िन्दगी बड़ी थी
और ख्वाइशें छोटी
इन कत्ल हुए ख्वाबों में
शायद ज़िन्दा हैं कुछ आज भी

एक भीनी सी खुसबू
कुछ आँखों मे नमी
बंद लबों पे ले आते हैं जो
एक प्यारी सी हँसी